प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को बंगाल के नवाब सिराजुदौला की सेना और रोबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के बीच हुआ था जिसे भारतीय इतिहास में एक विभाजक रेखा के रूप में भी देखा जाता है Ι
प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 के कारक :
- दस्तक का दुरूपयोग – 1717 में मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर द्वारा जारी फरमान जिसके तहत बंगाल , गुजरात और हैदराबाद में कंपनी हेतु कुछ विशेषाधिकार सुनिश्चित किये और
- इसी के अंतर्गत कंपनी को बंगाल में चुंगी मुक्त व्यापार करने का अधिकार दिया गया था परन्तु कंपनी द्वारा इसका दुरूपयोग किया जा रहा था जैसे कंपनी अधिकारियो द्वारा अपने निजी व्यापार हेतु भी इसका इस्तेमाल करना और भारतीय व्यापारियों को पैसे लेकर दस्तक को बेचना आदि Ι यह प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 का एक प्रमुख कारण था Ι
- नवाबो का अपेक्षाकृत नरम दृश्टिकोण : नवाब मुर्शिद कुली खां और अलीवर्दी खां ने कंपनी के प्रति नरम रुख अपनाया परन्तु नवाब सिराजुदौला का दृश्टिकोण सुरवात से ही कठोर रहा था Ι
- नवाब के प्रतिद्वंदियों को कंपनी द्वारा सहायता : कंपनी द्वारा जो सिराज के उत्तराधिकार का विरोध कर रहे थे उन्हें अपनी तरफ करने की कोशिस की जैसे राजवल्लभ के पुत्र को अपने किले में शरण देना , जगत सेठ , राय दुर्लभ , मीर जाफ़र आदि को अपने गुट में शामिल करना Ι
- अंग्रेजो के प्रति सिराजुदौला की कठोर निति : सिराजुदौला द्वारा सर्वप्रथम कासिम बाजार और फिर 20 जून 1756 को फोर्ट विलियम पर कब्ज़ा कर लिया और एक कोठरी में अंग्रेजो को बंद कर दिया जिसे कई अंग्रेज मारे गये जो की यह घटना भी प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 की एक प्रमुख वजह बनी Ι
- ब्रिटिश कंपनी की आक्रामक निति : फोर्ट विलियम की घटना के बाद अंग्रेजो द्वारा जनवरी 1757 में फिर से कलकत्ता पर अधिकार और अपने कब्जे में लेने के बाद दोनों पक्षों के बीच अलीनगर की संधि (फरवरी 1757) में हुई Ι
- परन्तु इसके तुरंत बाद ही क्लाइव द्वारा फ़्रांसिसी क्षेत्र चंदरनगर को मार्च 1757 में अपने कब्जे में ले लिया Ι
युद्ध का घटनाक्रम :
- इस युद्ध को बड़ा युद्ध नहीं माना जाता बल्कि एक बड़ा विश्वास घात माना जाता है क्योंकि इसका परिणाम पहले से ही निश्चित था Ι
- प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 भागीरथी नदी के किनारे घटित हुआ था जिसके अंतर्गत सिराजुदौला के सेनापति मीर जाफ़र और दुर्लभराय ने विश्वासघात किया और जिसके कारण नवाब की हार हुई और
- मीर जाफ़र को बंगाल के नए नवाब के रूप में स्थापित किया गया Ι
प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 का महत्व:
प्लासी के युद्ध में अंग्रेजों की विजय का न सिर्फ बंगाल के इतिहास बल्कि भारत के इतिहास पर भी विशेष प्रभाव पड़ा :
- कंपनी को मीर जाफ़र से नजराने एव हर्जाने के रूप में 1750000 रूपये प्राप्त हुए जो की कंपनी व्यापार में निवेश कर सकी Ι
- बंगाल के नवाब पर ब्रिटिश वर्चस्व स्थापित हो गया और अब नवाब सिर्फ महज कंपनी के हाथों की कठपुतली बनकर रह गया क्योंकि
- कंपनी को न सिर्फ बंगाल , बिहार और उड़ीसा में मुक्त व्यापार की अनुमति मिल गयी बल्कि साथ ही कंपनी को कलकत्ता के पास 24 परगना की जमीदारी भी मिल गयी
- अब ब्रिटिश अधिकारियो और व्यापारियों को निजी व्यापार पर भी कर से मुक्ति मिल गयी Ι
- अब कंपनी अपने अन्य प्रतिद्वन्द्वियो को बंगाल से दूर रखने में भी कामयाब हो सकी और बंगाल के व्यापार पर सफलतापूर्वक अपनी इजारेदारी को स्थापित कर लिया Ι
- प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 के बाद कंपनी के द्वारा बंगाल के संसाधनों की लूट आरंभ हो गयी Ι
निष्कर्स :
प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 आधुनिक भारत के इतिहास में एक युगांतकारी घटना सिद्ध हुई क्योंकि इसने भारत के सबसे बड़े और समृद्ध प्रान्त बंगाल पर ब्रिटिश कंपनी का नियंत्रण स्थापित कर दिया था Ι
FAQ
1.प्लासी का युद्ध कब हुआ
प्लासी का युद्ध 23 जुलाई, 1757 को हुआ।
2.प्लासी का युद्ध कहाँ हुआ था
प्लासी का पहला युद्ध 23 जून 1757 को मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील दूर नदिया जिले में भागीरथी नदी के किनारे \’प्लासी\’ नामक स्थान में हुआ था।
3.प्लासी का युद्ध किस नदी के किनारे हुआ था
भागीरथी नदी के किनारे
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