Indian Independence Act 1947 ना सिर्फ भारत के इतिहास बल्कि इसके निर्माण में भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है क्योंकि 1947 तक, 1935 के अधिनियम के तहत बनाये गये प्रावधान लागू नहीं हो सके इसलिए भारत सरकार का कामकाज 1919 के अधिनियम के तहत ही चलता रहा था Ι
इतिहास
- सर्वप्रथम प्रधानमंत्री एटली द्वारा 20 फरवरी 1947 को की गयी घोषणा की 30 जून 1947 को भारत में सत्ता भारतीयों के हाथों में सौंप दी जाएगी
- इस घोषणा के खिलाफ मुस्लिम लीग द्वारा भारत के विभाजन हेतु आंदोलन किया गया
- जिसके परिणाम स्वरुप 3 जून 1947 को माउंटबेटन द्वारा विभाजन की योजना पेश की गयी जिसे मुस्लिम लीग के साथ साथ कांग्रेस ने भी स्वीकार किया
- और इसी के साथ ही Indian Independence Act 1947 की नींव रखी गयी Ι
Indian Independence Act 1947 के प्रावधान इस प्रकार थे :
- Indian Independence Act 1947 के तहत ब्रिटिश संसद की जवाबदेही को समाप्त करके 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्र और प्रभुता सम्पन देश घोषित किया
- विभाजन कर सत्ता का उत्तरदायित्व दोनों डोमिनयन राज्यों भारत और पाकिस्तान को सौंप दिया जिन्हे पूरी स्वतंत्रता थी ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने की Ι
- भारत एवं पकिस्तान दोनों अधिराज्यों में एक – एक गवर्नर जनरल होंगे, जिनकी नियुक्ति उनके मंत्रिमंडल की सलाह से होगी और माउंटबेटन डोमिनियन भारत के प्रथम गवर्नर – जनरल थे Ι
- सविधान सभा का विधान मंडल के रूप में कार्य करना – जब तक सविधान सभाएँ सविधान का निर्माण नहीं कर लेती तब तक वे विधान मंडल के रूप में कार्य करती रहेगी Ι
- भारत सचिव के पद को समाप्त कर दिया और इसकी सभी शक्तिया डोमिनियन देश के राज्य सचिव को सौंप दी Ι
- इसने सविधान सभाओं को अपने अपने देश के सविधान बनाने हेतु पूरी आजादी दी गयी ताकि वे अपनी प्रस्थिति के अनुसार कोई भी कानून बना व निरस्त कर सकती थी Ι
- इसके तहत देशी रियासतों पर ब्रिटेन की सर्वोपरिता का अंत कर दिया गया।
- उनकों भारत या पकिस्तान, किसी भी अधिराज्य में सम्मिलित होने और अपने भावी संबंधों का निश्चय करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई।
- Indian Independence Act 1947 तहत आदिवासी क्षेत्र हेतु किये गये समझोते से भी ब्रिटेन के हस्तक्षेप को समाप्त कर दिया Ι
- इसने दोनों डोमिनियन में नए सविधान बनने तक प्रांतीय सभाओं में शासन को सुचारु रूप से चलाने हेतु 1935 के अधिनियम के तहत एक व्यवस्था की Ι
- जहां इसने एक तरफ बनाये जा रहे विधेयकों पर ब्रिटिश शासक के जो अधिकार स्वीकृति व मताधिकार थे उनसे वंचित कर दिया
- परन्तु गवर्नर जनरल जो की एक तरह से ब्रिटिश शासक के नाम पर था, को किसी किसी भी विधेयक को स्वीकार करने का अधिकार था
भारत पर इसका प्रभाव
- विभाजन के साथ – साथ Indian Independence Act 1947 ने दी जाने वाली शाही उपाधि से ” भारत का सम्राट ” शब्द को खत्म कर दिया
- बनाये गये नये डोमिनियन भारत के प्रथम गवर्नर जनरल माऊंटबेटन द्वारा जवाहरलाल नेहरू को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई
- सीमा आयोग के प्रमुख होने के नाते रेडक्लिफ द्वारा दोनों देशों के बिच सीमाओं का निर्धारण ( जिसे रेडक्लिफ रेखा कहा जाता है ) किया जिसके तहत पाकिस्तान में पश्चिम पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, पूर्वी बंगाल, उतर पश्चिम सीमांत क्षेत्र और असम का सिलहट जिला में शामिल किया गया
- हालांकि उत्तर पश्चिम सीमांत क्षेत्र और सिलहट जिला अदयादेश के माध्यम से पाकिस्तान में शामिल हुआ था Ι
- जो नाममात्र हेतु गवर्नर जनरल और प्रांतीय गवर्नरों की नियुक्ति सवैधानिक प्रमुखों के रूप में गई गयी थी
- इनके द्वारा कार्य मंत्री परिषद की सलाह पर करना होता था Ι
निष्कर्ष :
- Indian Independence Act 1947 के द्वारा जहां दो स्वतंत्र डोमिनयनो – संप्रभु राष्ट्र भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ वही साथ ही
- 14-15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन की सभी शक्तियो स्थानांतरित के साथ साथ इसका अंत भी हो गया था Ι